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सररसररसर मारी पिचकारी ऐसा
रंग डारा पी ने मैं तन मन
हारी ब इयाँ खींची मोरी
पकडी कलाई गुलाल मले
मुख पे जो फूटी रुलाई भीगी
चोली और घाघर मोरी खेलूँ
कैसे मैं पी संग होरी समझे
न पी मोरी इक भी बात घर
कैसे जाऊँ मैं रंग लै के
साथ जाने जग सारा मैने
लाज तो छोडी पर कैसे खेलूँ
मैं पी संग होरी पर कैसे
खेलूँ मैं पी संग होरी....
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