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अवसर

phir diwali hai

phir aaya hai naya saal (2005)

साल नया-2008
 
हो शुभ बहुत ये साल नया
वो बीत गया जो साल गया
मुंडेर की ओट से हाथ हिलाता
पीछे छूटा जो साल गया
हो शुभ बहुत ये साल नया

दुख का दरिया पार किया और
खुशी के भी दो सीप चुने
दो पल खुशियाँ, ढेरों आंसू
हो कर मालामाल गया
गुज़र गया जो साल गया

कई सपने टूटे शाखों पर
कई रातें बीती आहें भर
माथे की सिलवट, सूजी आंखें
ले कर अपना हाल गया
गुज़र गया जो साल गया

पूरा हो हर स्वप्न सुहाना
सच्चा हो अब ख्वाब पुराना
नये जहाँ में नयी उमंग से
बनेगा अब चौपाल नया
वो बीत गया जो साल गया
हो शुभ बहुत ये साल नया

दिवाली
 
काली रात जगमग सोने से
शरमाता अंधेरा झाँकता कोने से
खुशी की मंडली उजाले का डेरा
आज घर घर लक्ष्मी का बसेरा
कहीं छूटती पटाखे की लडी
कहीं बिखरती आज फुलझडी
खील बताशे और मिठाई
आज दु:खों की है विदाई
दीप जले हैं मन के आंगन मे
सुन्दर भावों के प्रांगण में
आओ इस तरह दीवाली मनायें
प्रेम के रंग से रंगोली रचायें

दीवाली-२००५
 
मदमस्त बयार जो आज आई
संग ठंडी सिहरन सी लाई

मेरे घर तुलसी का चौबारा
उस पर एक दीया होगा जला
लक्ष्मी मां की कर आरती
अल्पना और प्रसाद की थाली
आज भी घर में सजी होगी
आंगन में रंगोली रची होगी
मिठाई बंटते होंगे जन जन में
मां लगाती होंगी दीये आंगन में
उन्हें हवा के झोंके से आज भी
बचाते होंगे मेरे पिताजी
कहीं बचपन में नीलू के साथ
संग संग पटाखे जलाने की बात
कहीं फुलझडी सी झरती होगी
हम दोनों के बचपन की हंसी
आंगन मेरा वही पुराना
दीयों से जगमग आज सयाना
मुझे क्या भूल गया होगा
घर मेरा मुझसे दूर गया होगा
आज सात समंदर पार दिवाली
मगर नहीं पडी सुनसान दिवाली
खुशी यहां भी है पार कर आयी
रोशनी जग को हर जगह दिखलायी
अमावस की रात यहां भी कटी है
दिवाली घर से दूर भी मनी है...

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