शीत पर हाइकु
(रचना-२००५ दिसंबर)
निस्तब्ध रात
शांत
झरती बर्फ़
कांपते ठूँठ
सफ़ेद टोपी
दानव सा
पर्वत
हरा बदन
ऊँचे चीनार
असहाय
से खड़े
बर्फ़ आ लदी
बजती आग
लपट का नर्तन
लजाती
ठंड
फ़टी रज़ाई
तकिया फुटपाथ
नींद
पालना
धुप्प अंधेरा
ठंड
का अट्टहास
दुबके लोग
ऊन सलाई
कानाफ़ूसी
करते
बढ़ती बातें
आंख बिछौना
राजकुमारी
नींद
पलक रज़ाई