Manoshi Hindi Page

Haiku
Home
meri ghazal
holee geet voice
Prem
smriti
pooja
ujaala
prakriti
kuchh khayaal
kuchh yun hee
Haiku
Dohe
Avasar
nazm
baal kavitaayein
be-bahar ghazalein
kahaniyaan
Poetry in English
some links of mine

हाइकू में कविता

cotton.jpg

फागुनी हाइकु (रचना-फ़रवरी २००५)
 

बिछा पलाश
फागुन बिखेरता
रंग गोधूली
-----------
खेले सरसों
वसंती हवा संग
धरा लजाये
-------------
धूप थिरके
पीली चूनर ओढ
अंग सजाये
----------------
ए री कोयल
अब मत पुकार
निठुर पी को
-----------------
बरसा प्रेम
होरी के रंग संग
भेद मिटाये
----------------
पी संग खेले
गोरी जी भर  होरी
लाज भुलाये
----------------

डारा पिया ने
ऐसा रंग प्रेम का
छूटे न अंग
-----------------
 
पी का सन्देस
आया जिस फागुन
छोडा वो देस
चले कहार
मेरी डोली उठाये
बाबुल रोये

पी संग खेली
उस फागुन होरी
लाज भुलाये
पिया ने मारे
रंग के पिचकारी
भीगा ये मन


clouds1.jpg

 
वर्षा पर हाइकु
(रचना- अगस्त २००५)
 
बादल संग
आंख मिचौली खेले
पागल धूप
 
प्रकोपी गर्मी
मचा उत्पात अब
शांत हो भीगी
 
झुका के सर
चुपचाप नहाये
शर्मीले पेड
 
बदरा तले
मेंढक की मंडली
जन्मों की बातें
 
ओढ कम्बल
धरती आसमान
फूट के रोये
 
 
बादल
(रचना- सितंबर २००४)
 
बरस गये
ये थोडे से बादल
आज जी भर

कभी झरते
ये हल्के रिमझिम
कभी निर्झर

अधूरी गाथा
कहते छल से ये
चुप अधर

बात हमारी
पिया नहीं समझे
समझ कर

घन उमड
आये घुमड कर
नैनों में फिर

बरस गये
तब काले बादल
आज जी भर
 
----------

vancouverdowntown.jpg


 
वैन्क्यूवर
(रचना- जुलाई २००५)

नई सुबह
अधजगी सी आंखें
दिशा ढूँढती

मन रो रहा
लौट चल वापस
अपने देस

रोये पर्बत
चूम कर मनाने
झुके बदरा

आंखें ढूँढती
विस्तॄत सागर में
खो जाने को

हल्की फुहार
रिमझिम के गीत
रुके न झडी

लदी भीड से
बलखाती चलती
काली नागिन

क्षितिज पार
घूमने चल पडा
वो हन्स झुंड

जगमग रात
सब तमाशबीन
मेला ये जग

treecoveredinsnow.jpg

 
शीत पर हाइकु
(रचना-२००५ दिसंबर)
 

निस्तब्ध रात
शांत झरती बर्फ़
कांपते ठूँठ
 
सफ़ेद टोपी
दानव सा पर्वत
हरा बदन
 
ऊँचे चीनार
असहाय से खड़े
बर्फ़ आ लदी
 
बजती आग
लपट का नर्तन
लजाती ठंड
 
फ़टी रज़ाई
तकिया फुटपाथ
नींद पालना
 
धुप्प अंधेरा
ठंड का अट्टहास
दुबके लोग
 
ऊन सलाई
कानाफ़ूसी करते
बढ़ती बातें
 
आंख बिछौना
राजकुमारी नींद
पलक रज़ाई

 

चाँद पर हाइकु
 
काले स्लेट पे
एक टेढ़ी मुस्कान
मोनालीसा की

चेहरा प्यारा
रेशा रेशा बादल
खरोंच गया

डाल से टंगी
बस अभी टपकी
झुलसी रोटी

फागुनी चाँद
मल गया चाँदनी
आसमान को

गोल पत्थर
बादल का फ़ासिल
चिपका रहा
(फ़ासिल= fossil)

चरखी घूमे
चिपकी चिंगारियाँ
गगन पर

चूमे उठ के
उफ़नती लहरें
चाँद के होंठ

all poems by Manoshi Chatterjee